1.
आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम
अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...
2.
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....
अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....
3.
मौन था मन ,ह्रदय निस्पंद
झुके हैं चक्षु ,मंजुकपोल
और वो न जाने क्यूँ
छुपाते रहे सूखे पड़े उन
अधरों की सुर्ख़ियों में
वो ढाई आखर प्रेम के.....
4.
रातों को करवट लेते हुए तुझे न पाता हूँ
जानता हूँ अब तू मेरे पास नहीं है मगर
तेरी यादों को समेटती
इस चादर की सिलवटें
अब भी मेरे साथ सोती हैं.....
अक्षय-मन
52 comments:
वाह! एक सुन्दर रचना के लिये बधाई।
सुन्दर भाव!
ek se badh kar ek!!
mere pass shabd nahi........:)
सुन्दर भाव!
bahut achchi likhi hai har rachna
आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम
अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...
वाह ! क्या खूब कहा है और यही तुम्हारी खूबी है।
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....
अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....
उफ़ ! कमाल कर दिया
कुछ इस तरह
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से
मिलवा दिया
बहुत सुन्दर मुक्तक्।
My Dear Honey,
hamesha ki tarah bhavnao se bhari rachna bahut dino baad,acchi lagi/aise hi apne man ko rachnatmak karyo me pravritta karo ,a good poem no doubt with joys and sorrows.
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....
अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....
awesome!!
आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम
अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...
बहुत सुन्दर रचना । बधाई ।
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....
अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....
कुछ कहने के लिए शब्दों की तलाश है..... हर एक बात वाह वाह बहुत सुन्दर
मन की गहराइयो से लिखी कविता है, बहुत बढिया।
Dil ki gahraayi se nikale bhaav shaayad ise hi kahte hai ... hai n Akshay ?
बहुत सुंदर एवं गहरे भाव .....
आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम
अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...
बहुत खूब ......
रातों को करवट लेते हुए तुझे न पाता हूँ
जानता हूँ अब तू मेरे पास नहीं है मगर
तेरी यादों को समेटती
इस चादर की सिलवटें
अब भी मेरे साथ सोती हैं.....
Kya kamal ka likhte ho!
Bahtareen ,kamaal ,lajavaab,atulniya,bhavo se paripoorn, bemisaal ... Keep it up ...
बहुत खूब" अच्छी प्रस्तुति है
वाह वाह .....बहुत सुन्दर
भाई बहुत खूव । कागज कोरा है उसे दास्तां मिल जायेगी और हमें भूली विसरी यादें। वो गजल है न मेहदीहसन साहब ने गाई है भूली विसरी चंद ....चंद फसाने याद आये, तुम याद आये और तुम्हारे साथ जमाने याद आये।
आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ
really very nice
i like it
Honey ,pata nahi kaha sey kahtey ho aur kyo kahtey ho per jo bhi kahtey ho mujhey bahut accha lagta hai /tumharey photo dekhey ,bahut sunder lagey .mera sneh asheesh dono tumhare liye /
bahut bahut pyar
tumhara hi
bhoopendra
'वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....
अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....'
प्रेम का सिला प्रेम.... आपकी ये पंक्तियाँ छू गईं.
Bahut Sunder rachna
Bahut Sunder rachna
bahot sunder.
nice photo collection
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,अच्छी रचना , बधाई ......
ऐसा लगा कि मानो आपकी डायरी के कुछ पन्ने सहसा खुल गये हों....अथवा आपका भावगर्भित हृदय अभिव्यक्ति की मानवीय तृष्णा के तहत छलक पड़ा हो...इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई!
आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है, और कविता भी, बधाई स्वीकारें !
रुहानी प्रस्तुती
bahut khoob yaar nice lines
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
check my blog
and in this at mere vichar tab you will finds poem and stories written by me
सारी रचनाएँ आपकी सृजन भाव की गहराई को प्रतिपादित करती हैं ! इस कविता ने तो मन को छू लिया !
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....
अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ बहुत अच्छी रचना
बधाई !
Waah waah, umda lekhan
had a casual visit of yr blog ; read some of yr writs ..........thoughts are beautiful , a little ill -arrangement .any way effort may bring maturity .....but d serious laps is on d part of language -side ....spelling mistake are many in common ....punctuations not used cause ...reading -understanding -gap .improve language and grow in thoughts .....BEST OF WISHES ..........EFFORTS may bring glory ....may GOD bless u .
had a casual visit of yr blog ; read some of yr writs ..........thoughts are beautiful , a little ill -arrangement .any way effort may bring maturity .....but d serious laps is on d part of language -side ....spelling mistake are many in common ....punctuations not used cause ...reading -understanding -gap .improve language and grow in thoughts .....BEST OF WISHES ..........EFFORTS may bring glory ....may GOD bless u .
बहुत अच्छा लिखते हैं आप. शुभकामनाएँ !
Hey, I am checking this blog using the phone and this appears to be kind of odd. Thought you'd wish to know. This is a great write-up nevertheless, did not mess that up.
- David
tisari rachna behad sunder lagi mujhe..........
apke blog par aakar acha laga.
bahut shubkamanye.......
आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम
अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...
वाह ! क्या खूब कहा है और यही तुम्हारी खूबी है।
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें
अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.
उफ़ ! कमाल कर दिया
कुछ इस तरह
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से
मिलवा दिया
बेहतरीन कविता.हिन्दी के लफ़्ज़ों का अच्छा इस्तेमाल.
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें
अति सुंदर
सुंदर.
घुघूती बासूती
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
बढ़िया प्रस्तुति. बधाई।
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुंदर.
घुघूती बासूती
खूबसुरत एहसासात और उम्दा अल्फ़ाजों से लबरेज़ रचनाएँ है, बधाई मनोज जी
मौन था मन ,
ह्रदय निस्पंद झुके हैं चक्षु ,
मंजुकपोल और वो न जाने क्यूँ
छुपाते रहे
सूखे पड़े उन अधरों की सुर्ख़ियों में
वो ढाई आखर प्रेम के.....
यूँ तो पूरी रचना भावपूर्ण मनमोहक है...परन्तु इन पंक्तियों का शब्द लालित्य अतिविशिष्ट लगा...
मन को छूनेवाली इस सुन्दर रचना के लिए बधाई...
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
रातों को करवट लेते हुए तुझे न पाता हूँ
जानता हूँ अब तू मेरे पास नहीं है मगर
तेरी यादों को समेटती
इस चादर की सिलवटें
kya kahu!!!!!!!!!!har bar aapki rachana padhane ke baad thodee der
antarman swatah manthan karta hai ki
aisa kya likh doo ki aapke lekhini
ko aur gati mil jae.
bhavna, bhav, prem se paripoorana
aapka hraday se aabhar.
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