Sunday, 24 October 2010

एहसास दूरियों का


1.
आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम

अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...


2.
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....

अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....


3.
मौन था मन ,ह्रदय निस्पंद
झुके हैं चक्षु ,मंजुकपोल
और वो न जाने क्यूँ
छुपाते रहे सूखे पड़े उन
अधरों की सुर्ख़ियों में

वो ढाई आखर प्रेम के.....

4.
रातों को करवट लेते हुए तुझे न पाता हूँ
जानता हूँ अब तू मेरे पास नहीं है मगर
तेरी यादों को समेटती

इस चादर की सिलवटें

अब भी मेरे साथ सोती हैं.....

अक्षय-मन

52 comments:

NK Pandey said...

वाह! एक सुन्दर रचना के लिये बधाई।

Udan Tashtari said...

सुन्दर भाव!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

ek se badh kar ek!!

mere pass shabd nahi........:)

परमजीत सिहँ बाली said...

सुन्दर भाव!

gyaneshwaari singh said...

bahut achchi likhi hai har rachna

vandana gupta said...

आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम

अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...

वाह ! क्या खूब कहा है और यही तुम्हारी खूबी है।

वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....

अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....

उफ़ ! कमाल कर दिया
कुछ इस तरह
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से
मिलवा दिया

बहुत सुन्दर मुक्तक्।

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

My Dear Honey,
hamesha ki tarah bhavnao se bhari rachna bahut dino baad,acchi lagi/aise hi apne man ko rachnatmak karyo me pravritta karo ,a good poem no doubt with joys and sorrows.

Parul kanani said...

वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....

अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....

awesome!!

dipayan said...

आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम
अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...

बहुत सुन्दर रचना । बधाई ।

रचना दीक्षित said...

वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....

अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....

कुछ कहने के लिए शब्दों की तलाश है..... हर एक बात वाह वाह बहुत सुन्दर

Dr. Anil Kumar Tyagi said...
This comment has been removed by the author.
Dr. Anil Kumar Tyagi said...

मन की गहराइयो से लिखी कविता है, बहुत बढिया।

ρяєєтii said...

Dil ki gahraayi se nikale bhaav shaayad ise hi kahte hai ... hai n Akshay ?

http://anusamvedna.blogspot.com said...

बहुत सुंदर एवं गहरे भाव .....


आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम
अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...



बहुत खूब ......

shama said...

रातों को करवट लेते हुए तुझे न पाता हूँ
जानता हूँ अब तू मेरे पास नहीं है मगर
तेरी यादों को समेटती

इस चादर की सिलवटें

अब भी मेरे साथ सोती हैं.....
Kya kamal ka likhte ho!

Poonam Agrawal said...

Bahtareen ,kamaal ,lajavaab,atulniya,bhavo se paripoorn, bemisaal ... Keep it up ...

लाल कलम said...

बहुत खूब" अच्छी प्रस्तुति है

सु-मन (Suman Kapoor) said...

वाह वाह .....बहुत सुन्दर

BrijmohanShrivastava said...

भाई बहुत खूव । कागज कोरा है उसे दास्तां मिल जायेगी और हमें भूली विसरी यादें। वो गजल है न मेहदीहसन साहब ने गाई है भूली विसरी चंद ....चंद फसाने याद आये, तुम याद आये और तुम्हारे साथ जमाने याद आये।

BrijmohanShrivastava said...

आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ

Dr Shalini Agam said...

really very nice
i like it

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

Honey ,pata nahi kaha sey kahtey ho aur kyo kahtey ho per jo bhi kahtey ho mujhey bahut accha lagta hai /tumharey photo dekhey ,bahut sunder lagey .mera sneh asheesh dono tumhare liye /
bahut bahut pyar
tumhara hi
bhoopendra

Bharat Bhushan said...

'वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....

अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....'

प्रेम का सिला प्रेम.... आपकी ये पंक्तियाँ छू गईं.

Shaivalika Joshi said...

Bahut Sunder rachna

Shaivalika Joshi said...

Bahut Sunder rachna

mridula pradhan said...

bahot sunder.

RockStar said...

nice photo collection

शिवा said...

आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,अच्छी रचना , बधाई ......

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar said...

ऐसा लगा कि मानो आपकी डायरी के कुछ पन्ने सहसा खुल गये हों....अथवा आपका भावगर्भित हृदय अभिव्यक्ति की मानवीय तृष्णा के तहत छलक पड़ा हो...इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई!

Dr (Miss) Sharad Singh said...

आपका ब्लॉग बहुत सुंदर है, और कविता भी, बधाई स्वीकारें !

JAGDISH BALI said...

रुहानी प्रस्तुती

Anonymous said...

bahut khoob yaar nice lines
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
check my blog
and in this at mere vichar tab you will finds poem and stories written by me

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

सारी रचनाएँ आपकी सृजन भाव की गहराई को प्रतिपादित करती हैं ! इस कविता ने तो मन को छू लिया !
वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें....

अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.....
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

Shabad shabad said...

आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ बहुत अच्छी रचना
बधाई !

संत शर्मा said...

Waah waah, umda lekhan

Dr. Y.N.Pathak said...

had a casual visit of yr blog ; read some of yr writs ..........thoughts are beautiful , a little ill -arrangement .any way effort may bring maturity .....but d serious laps is on d part of language -side ....spelling mistake are many in common ....punctuations not used cause ...reading -understanding -gap .improve language and grow in thoughts .....BEST OF WISHES ..........EFFORTS may bring glory ....may GOD bless u .

Dr. Y.N.Pathak said...

had a casual visit of yr blog ; read some of yr writs ..........thoughts are beautiful , a little ill -arrangement .any way effort may bring maturity .....but d serious laps is on d part of language -side ....spelling mistake are many in common ....punctuations not used cause ...reading -understanding -gap .improve language and grow in thoughts .....BEST OF WISHES ..........EFFORTS may bring glory ....may GOD bless u .

mukti said...

बहुत अच्छा लिखते हैं आप. शुभकामनाएँ !

Anonymous said...

Hey, I am checking this blog using the phone and this appears to be kind of odd. Thought you'd wish to know. This is a great write-up nevertheless, did not mess that up.

- David

Suman said...

tisari rachna behad sunder lagi mujhe..........

Suman said...

apke blog par aakar acha laga.
bahut shubkamanye.......

सुनील गज्जाणी said...

आंखें भीगी
पलकों में नमी सी है
न जाने क्यूँ ये लब
हंसी को कम

अश्को को ज्यादा चूमने लगे हैं...

वाह ! क्या खूब कहा है और यही तुम्हारी खूबी है।

वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें

अब न वो सफहा कोरा है और न मैं तन्हा.

उफ़ ! कमाल कर दिया
कुछ इस तरह
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी से
मिलवा दिया

शाहजाहां खान “लुत्फ़ी कैमूरी” said...

बेहतरीन कविता.हिन्दी के लफ़्ज़ों का अच्छा इस्तेमाल.

Asha Joglekar said...

वो सफहा और मैं दोनों कोरे हैं
किसी दास्ताँ के लिए
सोचा एक दूसरे की तन्हाई बाँट लें..
उसे इक दास्ताँ मिल जाएगी और
मुझे भूली बिसरी कुछ यादें

अति सुंदर

ghughutibasuti said...

सुंदर.
घुघूती बासूती

hamarivani said...

मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..

Vivek Jain said...

बढ़िया प्रस्तुति. बधाई।
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

ghughutibasuti said...

बहुत सुंदर.
घुघूती बासूती

Ravi yadav said...

खूबसुरत एहसासात और उम्दा अल्फ़ाजों से लबरेज़ रचनाएँ है, बधाई मनोज जी

रंजना said...

मौन था मन ,

ह्रदय निस्पंद झुके हैं चक्षु ,

मंजुकपोल और वो न जाने क्यूँ

छुपाते रहे

सूखे पड़े उन अधरों की सुर्ख़ियों में

वो ढाई आखर प्रेम के.....

यूँ तो पूरी रचना भावपूर्ण मनमोहक है...परन्तु इन पंक्तियों का शब्द लालित्य अतिविशिष्ट लगा...

मन को छूनेवाली इस सुन्दर रचना के लिए बधाई...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो
चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

Dr.Sushila Gupta said...

रातों को करवट लेते हुए तुझे न पाता हूँ
जानता हूँ अब तू मेरे पास नहीं है मगर
तेरी यादों को समेटती

इस चादर की सिलवटें

kya kahu!!!!!!!!!!har bar aapki rachana padhane ke baad thodee der
antarman swatah manthan karta hai ki
aisa kya likh doo ki aapke lekhini
ko aur gati mil jae.
bhavna, bhav, prem se paripoorana
aapka hraday se aabhar.