सोना जब
भट्टी मे तपता है
कुन्दन बनता है ,
और जब कसौटी
पर खरा उतरता है
उसका सही दाम लगता है
वाह रे !
मेरे देश ; यहाँ
जब कोई इंसान
तप कर
हर कसौटी पर
खरा उतरता है
वैज्ञानिक,साहित्यकार
समाजसेवी
यह कहो
कुछ न कुछ बनता है
कौड़ियों के दाम बिकता है ।
कुन्दन बनता है ,
और जब कसौटी
पर खरा उतरता है
उसका सही दाम लगता है
वाह रे !
मेरे देश ; यहाँ
जब कोई इंसान
तप कर
हर कसौटी पर
खरा उतरता है
वैज्ञानिक,साहित्यकार
समाजसेवी
यह कहो
कुछ न कुछ बनता है
कौड़ियों के दाम बिकता है ।
~~अक्षय–मन-विजय
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