इस वक़्त ने बहुत बदल दिया
या कहूँ इस समाज ने
क्या अंतर है।
मेरे इस संघर्ष को इस बदलाव को
तुम कैसे परिभाषित करोगे?
तुम मुझे कल भी अबला समझते थे
तुम मुझे आज भी लाचार समझते हो
अबला और लाचार तुम्हारी सोच है
औरत की सीमाओं को
सीमित समझने वाला ये समाज
समझ ले
मेरा उसी समाज,उसी सोच से संघर्ष है।
मैं बदल रही हूं
बदल जाऊंगी
मेरा बदलाव
आपकी सोच जितना सीमित नहीं।
मेरा बदलाव
आपकी सोच जितना सीमित नहीं।
~~अक्षय–मन
1 comment:
बहुत ही उम्दा लिखावट , बहुत ही सुंदर और सटीक तरह से जानकारी दी है आपने ,उम्मीद है आगे भी इसी तरह से बेहतरीन article मिलते रहेंगे
Best Whatsapp status 2020 (आप सभी के लिए बेहतरीन शायरी और Whatsapp स्टेटस संग्रह) Janvi Pathak
Post a Comment