एक मर्म और मन का अल्प अँधेरा
किसी कल्पना को जन्म देता है
एक ऐसी कल्पना जो अभी निर्मल-नवीन है
इस संसार से अछुती है
समय के साथ वो कल्पना पलती रही
विचारों के पालने में
उसको समेट लिया अपनी गोद में
कुछ अधूरे बिखरे पन्नो ने
किसी ने उसे अवांछित कहा तो
कोई अवहेलना करके चल दिया परन्तु
विचारों की धुरी पर वो कल्पना
अपना निश्चित रूप ले रही थी
व्यथा के पथ पर
आसीमित गहराईयों को छूती वो कल्पना
शब्दों से श्रृंगार कर
अब एक अक्षय कृति बन गई है ।
अक्षय-मन
किसी कल्पना को जन्म देता है
एक ऐसी कल्पना जो अभी निर्मल-नवीन है
इस संसार से अछुती है
समय के साथ वो कल्पना पलती रही
विचारों के पालने में
उसको समेट लिया अपनी गोद में
कुछ अधूरे बिखरे पन्नो ने
किसी ने उसे अवांछित कहा तो
कोई अवहेलना करके चल दिया परन्तु
विचारों की धुरी पर वो कल्पना
अपना निश्चित रूप ले रही थी
व्यथा के पथ पर
आसीमित गहराईयों को छूती वो कल्पना
शब्दों से श्रृंगार कर
अब एक अक्षय कृति बन गई है ।
अक्षय-मन
29 comments:
व्यथा के पथ पर
आसीमित गहराईयों को छूती वो कल्पना
शब्दों से श्रृंगार कर
अब एक अक्षय कृति बन गई है ।
Kya kahun? Hamesha hee nihayat khoobsoortee se likhte ho!
वाह कितना अनोखा है सब कुछ दिल के बहुत करीब.
कल्पनाए अछूती ही होती है पर जरूरी नहीं अंधेरो से ही निकले...
मनोस्थिति जैसी है कल्पनाए वैसी ही होती है..न जाने क्यों कविता में गहरी उदासी..
निराशा अवसाद की अधिकता क्यों है....:-(
बहुत दिनो बाद आये अक्षय और सच अनुपम कृति लाये हो………………बेहद खूबसूरत्।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (15/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
वाह! बहुत खूबसूरत रचना..पसंद आई.
कल्पना जब कविता में बदल जाती है तो अच्छा लगता है ....
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है!
लिखते रहिए!
bahut sunder pyarey ,tumhara andaz hi alag hai /bahut dino baad kuch sun kar accha laga ,pyar aur shubhkamanayen
sasneh
bhoopendra
हर कविता कल्पना से ही शुरु होती है शायद। सुन्दर कविता है।
घुघूती बासूती
हमेशा लिखते हो...आज भी बहुत अच्छा लिखा है मित्र.
अक्षय रहो और रहे अक्षय लेखन तुम्हारा...
कुछ कल्पनाएं कविता में पविर्तित होती हैं तो कुछ यथार्थ में...प्रभावशाली कविता के लिए बधाई।
bhaut sunder ..achchha laga itne din bad apka likha paha
बहुत खूबसूरत ...अच्छा लगा पढ़ना
अच्छी अभिव्यक्ति -अच्छे शब्द श्रृंगार ।
शब्दों के श्रृंगार से मन की कल्पना का अक्षय कृति बन जाना कविता ही तो है ...
सुन्दर ..!
बहुत अच्छी रचना...
wah... bahut khoob
आप कि बहुत अच्छी अभिब्यक्ति होती है |
main bas dohra rahi hoon..beautiful!
आप कि इक - इक लाइन बहुत सुन्दर है
बहुत - बहुत आभार
बहुत खूब !!
अछुती को अछूती कर लें
व्यथा के पथ पर
आसीमित गहराईयों को छूती वो कल्पना
शब्दों से श्रृंगार कर
अब एक अक्षय कृति बन गई है ।
bahut dino par najar aaye, akshay!! lekin tumhari lekhini apne sarvottam ko sparsh kar rahi hai.......great!!
hame to tumse seekhna hai!!
abhivyaki ka sanchy kafi achha ban pda hai....subhkamnao sahi....
I wish you & your family a very very Happy Prosperous Diwali..!!A Diwali full of light in your life, prosperity in your profession & continuos flow of wealth in your home.Celebrate the glittering festival of Diwali the traditional way and in the best of spirits!
dr.shaliniagam
आपके मुक्तक पढ़ कर सुखद अनुभूति हुई।
कल नेताजी सुभाषचंद बोस की जयन्ती थी
उन्हें याद कर युवा शक्ति को प्रणाम करता हूँ।
आज हम चरित्र-संकट के दौर से गुजर
रहे हैं। कोई ऐसा जीवन्त नायक युवा-पीढ़ी
के सामने नहीं है जिसके चरित्र का वे
अनुकरण कर सकें?
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मुन्नियाँ देश की लक्ष्मीबाई बने,
डांस करके नशीला न बदनाम हों।
मुन्ना भाई करें ’बोस’ का अनुगमन-
देश-हित में प्रभावी ये पैगाम हों॥
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सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
बहुत ही सुन्दर विचार है आपके और उतनी सुन्दर आपकी हर पोस्ट बहुत ही अच्छा लगा आपके विचार जन के |
कभी मेरे ब्लॉग पे पधारिये शायद कुछ आपके विचारो से मिलती जुलती कुछ पोस्ट मेरे ब्लॉग पे भी मिलेंगी
http://vangaydinesh.blogspot.com/
behad hi acha likha hai aapne,bahut hi achi rachna
Kraant
http://poetry-kavita.blogspot.com
ब्लॉग की दुस्निया में आपका हार्दिक स्वागत |
बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने |
अप्प मेरे ब्लॉग पे भी आना के कष्ट करे
http://vangaydinesh.blogspot.com/
kya baat hai..khub kahi hai aap ne..
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