Thursday, 28 January 2010

वक़्त की किताब





















वक़्त की इस किताब पर लिखे हैं
मेरी ज़िन्दगी के कुछ हिसाब
हर पन्ना वो पुरानी याद का
मुझे मेरी एक नई पहचान दे जाता है
और फिर से लिख जाता है कुछ ऐसा
जो आज मेरा वर्तमान है कल मेरा इतिहास होगा
खोलो उन लम्हों से बंधे पन्नो को जिसमे
यादों की दस्तक कभी सुख तो कभी दुःख
बनकर तुम्हारा परिचय देती है.....

मैं और मेरा परिचय उन पन्नो की तरहां अस्थिर है
जिन्हें पढने के बाद पलट दिया जाता है....और फिर
नया पन्ना,नया परिचय और कुछ नई यादें
लेकिन वही वक़्त की पुरानी किताब...अक्षय-मन

42 comments:

रश्मि प्रभा... said...

shandaar bhawnayen

shama said...

Hameshaki tarah behad khoosurat rachna!Mere paas alfaaz nahi hain..

Aparajita said...

bahut sundar rachna....

Rajat Narula said...

bahut umda rachna hai...

vinodbissa said...

bahut hi shandar ....... akshya ji shubhkamanayen..........

kavita verma said...

sunder bhav sunder rachana.

हास्यफुहार said...

बहुत अच्छी कविता।

मनोज कुमार said...

सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है।

Randhir Singh Suman said...

nice

संत शर्मा said...

Sundar Abhivyaqti

गीता पंडित said...

sahee parichay hai
vakt kee kitab ka...


sundar...

likhte rahen...


ssneh
Gita

Ravi Rajbhar said...

Bahut sunder abhibyakti..bahut dino bad aapki wapsi hui ..badhai
kuchh sabd thik nahi utren hai aisa mujhe lag raha hai! kripya ek bar khud read kar lewe.

ρяєєтii said...

behtarin lekhani...ek ek panna sachaai ka pratik...

डिम्पल मल्होत्रा said...

इक अरसे बाद आपकी पोस्ट आई.
वक़्त की पुरानी किताब पर कितने भी जोड़ घटा कर लो हाथ कुछ नहीं आता सिवा कुछ इक लम्हों के और यादो के.
लेकिन खुद का पन्नो की तरह अस्थिर होना मन की व्यथा बता रहा है.

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

jab bhi likhte ho to bahut bhala lagta hai ,
apna hi aks aine mey dhala lagta hai ,pyar,phone nahi uthate ho ,kya kahoon ,itne nasamajh bhi nahi jo kuch samajh na sako,jo bhi ho ....
tumhara hi ,
bhoopendra

Ashk said...

bahut sundar !

Unknown said...

bahut khub bahi ji ...acchi kavita hai

BrijmohanShrivastava said...

नया पन्ना ,नया परिचय , नई याद दे जाती है पुरानी किताब । यादें तो सुखद और दुखद होती ही है लेकिन आज पुरानी दुखद यादें भी सुखद अहसास देती है

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर व सही।
घुघूती बासूती

प्रज्ञा पांडेय said...

पुरानी किताब बहुत सुन्दर है !

नीरज गोस्वामी said...

अक्षय जी इस लाजवाब रचना के लिए उपयुक्त प्रशंशा के शब्द नहीं हैं मेरे पास...आप का लेखन विलक्षण है...सोच और शब्द चयन अद्भुत है...वाह...आपके ब्लॉग की साज सज्जा और चित्र चयन बहुत प्रभावशाली है...बधाई...
नीरज

दिगम्बर नासवा said...

गहरे भाव लिए ....... वक़्त रोज़ नये हिसाब लिखता है ..........

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

ये वक़्त की छाप है....जो गुजरने के बाद इतिहास ही बनेगी......
सुन्दर भाव.....

sonal said...

लिखने का एक फ़ायदा होता है की आप कभी भी पन्ने पलट कर अपने अतीत को पुन: जी सकते हैं
सुन्दर रचना
http://sonal-rastogi.blogspot.com/

Shruti said...

main bahut late ho gayi aapki kavitayein padne mein. par ab jab aayi hoon to jana hai shayad kuch kho rahi thi.

aap bahut achha likhte hai.

-Sheena

Parul kanani said...

kya likhte hai aap...fan ho gayi main

Asha Joglekar said...

वक्त की किताब के ये पन्ने बहुत खूबसूरत इबारत लेकर आये हैं ।

arvind said...

बहुत सुन्दर ,लाजवाब रचना .....

सु-मन (Suman Kapoor) said...

awesome
suman'meet'

सु-मन (Suman Kapoor) said...

awesome
suman'meet'

Bhawna said...

बहुत सुंदर ब्लॉग...
बहुत गहरे भाव
grt combination

रचना दीक्षित said...

बहुत गहरी बात सुन्दर भावों से सजी रचना

ZEAL said...

Live in moments !

विजयप्रकाश said...

बहुत ही बढ़िया रचना...जैसा भी इतिहास हो ,आपकी यह कविता प्रासंगिक ही रहेगी.

राइना said...

bahut hi achchi rachna....

राइना said...

bahut hi achchi rachna....

निर्झर'नीर said...

जिन्हें पढने के बाद पलट दिया जाता है....और फिर
नया पन्ना,नया परिचय और कुछ नई यादें
लेकिन वही वक़्त की पुरानी किताब..

sundar bhaavpoorn abhivyakti ..

mridula pradhan said...

padhker maza aa gaya.

Dr.Bhawna Kunwar said...

यादों की दस्तक कभी सुख तो कभी दुःख
बनकर तुम्हारा परिचय देती है.....

kya bat hai ...javab nahi..

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

vaythit man se nikla gaan, aisa kabhi bhi nahi hua ki har man ko na chhua ho.marm tak jati hai puri rachna aapki shubhkamnayen . akshay ji

Dinesh pareek said...

बहुत सुन्दर अच्छी लगी आपकी हर पोस्ट बहुत ही स्टिक है आपकी हर पोस्ट कभी अप्प मेरे ब्लॉग पैर भी पधारिये मुझे भी आप के अनुभव के बारे में जनने का मोका देवे
दिनेश पारीक
http://vangaydinesh.blogspot.com/ ये मेरे ब्लॉग का लिंक है यहाँ से अप्प मेरे ब्लॉग पे जा सकते है

विशाल सिंह (Vishaal Singh) said...

आपकी ज़िन्दगी का हिसाब मुक्तछंदी होने के बावजूद काफी मार्मिक है....एक अत्यंत उत्तम रचना पढ़ी...पढ़कर अच्छा लगा!