खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं
मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं
सपन्न सभी जो बह चुके हैं नयन-नीर से
अपने ह्रदय पर वार किये अपने ही तीर से
पत्थरों में हाँ तराशा हूं खुद को
बन रहा पत्थर या मैं भगवान् हूं
खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं
मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं
शोलों सी जल रही हैं आज सब दिशायें
दिख रही हैं आज मुझको जिन्दा चितायें
आएगी हाँ मौत बनकर आंधियां
खड़ा रहा डटकर हाँ मैं चट्टान हूं
खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं
मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं
भूल चूका हूं सुर वो राग वो गीत . सभी
छोड़ चूका हूं प्यार वो साथ वो मीत सभी
ये जीवन ही बन जाये जब हाँ रणभूमि
अंत से अपने लड़ रहा मैं लहू-लुहान हूं
खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं
मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं
देखो फेला हूं मैं सब संसार में
कहने को पर नहीं पर उड़ान हूं
बादलों से गिर रही हैं जो बिजलियाँ
छिप के रहना मुझसे में आसमान हूं
खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं
मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं
~~अक्षय-मन
© copyright
20 comments:
ये हौसला कभी टूटे न.....
बिना परों के भी ऊचाईयां छूने का जज्बा कायम रहे,,,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति अक्षय जी.
अनु
अपने मन के विश्वास को यूँ ही कायम रखे .....सादर
रविवारीय महाबुलेटिन में 101 पोस्ट लिंक्स को सहेज़ कर यात्रा पर निकल चुकी है , एक ये पोस्ट आपकी भी है , मकसद सिर्फ़ इतना है कि पाठकों तक आपकी पोस्टों का सूत्र पहुंचाया जाए ,आप देख सकते हैं कि हमारा प्रयास कैसा रहा , और हां अन्य मित्रों की पोस्टों का लिंक्स भी प्रतीक्षा में है आपकी , टिप्पणी को क्लिक करके आप बुलेटिन पर पहुंच सकते हैं । शुक्रिया और शुभकामनाएं
bahut behtareeen:)
पत्थरों में हाँ तराशा हूं खुद को
बन रहा पत्थर या मैं भगवान् हूं
Exceelent creation
sunhare samay ka khubsurat utthhan.....
haan tujh par har shabd ko abhi maaan he...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
bahut accha jajba hai...bhavpurna rachna...sundar abhivyakti
बादलों से गिर रही हैं जो बिजलियाँ
छिप के रहना मुझसे में आसमान हूं
खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं
मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं
सुंदर ....
बस ऐसे ही आत्मविश्वास बनाए रखिये ...
बादलों से गिर रही हैं जो बिजलियाँ
छिप के रहना मुझसे में आसमान हूं
खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं
मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं
सुंदर ....
बस ऐसे ही आत्मविश्वास बनाए रखिये ...
bahut khoobsoorat rachnaa -aise hi likhte rahiye
- shubh-kamnaye
sunder bhav-atisunder kavita
badalte yug ka abhiman... bahut hi sundar chitran hai akshay ji.
bahut badhiya...
बहुत ही भावपूर्ण रचना | आभार
tamasha-e-zindagi
Tamashaezindagi FB Page
badi achchi lagi.....
बहुत सुन्दर
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बादलों से गिर रही हैं जो बिजलियाँ
छिप के रहना मुझसे में आसमान हूं
खुद पर ही करता मैं अभिमान हूं
मैं बदलते युग का हाँ उत्थान . हूं
..बहुत सुन्दर ..
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जाने कैसे यहाँ पहुँच गई.. इतना ऊँचा जज़्बा मुबारक हो...इस ब्लॉग़ पर आकर ऐसा लगा जैसे अंतरिक्ष में अनगिनत सतरंगी चाहतें तैर रही हूँ....ढेरों शुभकामनाएँ...
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