किसी की आँखों की नमी लिख रहा हूं
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं
खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
मिलने को मिल जाये कायनात सारी
तू जो नहीं है,तेरी कमी लिख रहा हूं.....
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
~~~अक्षय-मन
33 comments:
खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
bahut sunder bhav
rachana
बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग "meri kavitayen"पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा.
bahut hi umda aur khubsurat...
Nice poem.
बोल्डनेस छोड़िए हो जाइए कूल...खुशदीप के सन्दर्भ में
सम्पूर्ण मानव जाति की माँ का नंगा चित्र प्रकाशित करना कितना उचित है ?
रात हमने 'ब्लॉग की ख़बरें' पर पोस्ट पब्लिश करने के साथ ही ख़ुशदीप सहगल की पोस्ट पर टिप्पणी भी की और इस पोस्ट की सूचना देने के लिए अपना लिंक भी छोड़ा लेकिन उन्होंने गलती को मिटने के बजाय हमारी टिप्पणी ही मिटा डाली.
उनकी गलती दिलबाग जी ने भी दोहरा डाली. उनकी पोस्ट से फोटो लेकर उन्होंने भी चर्चा मंच की पोस्ट (चर्चा - 840 ) में लगा दिया है.
एक टिप्पणी हमने चर्चा मंच की पोस्ट पर भी कर दी है.
यह मुद्दा तो सबके माता पिता की इज्ज़त से जुडा है. सभी को इसपर अपना ऐतराज़ दर्ज कराना चाहिए.
http://vedquran.blogspot.in/2012/04/blog-post.html
खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
बहुत खूब ....!!
Bahut baahvpoorn Akshay
thank u fr sharing :)
Naaz
खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
बहुत ही बढ़िया सर!
सादर
कल 06/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
very deep and intense feelings..
the pain and agony is well reflected
very deep and intense feelings..
the pain and agony is well reflected
उदासी लिए ... गहरी रचना ...
बहुत वक्त बाद तुम्हें पढ़ा ...अच्छा लगा
jaisa bhi likhte ho, bahut behtareen likhte ho:)
खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
वाह-जबरदस्त!!
Bahut sundar likha hain aapne.
बहुत खूबसूरत रचना...........
लाजवाब.
अनु
खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर ....अंतस को छू गयी आपकी कविता
वाह, बहुत खूब. !!
sundar, dil ko chhoone vaali ghazal.
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
very nice
bahut sundar rachna....
Bahut hi khubsurat rachna...
Beautiful lines
आँख के पर्दों से जो छनकर बहे,
मैल जिसमें थोड़ा-सा भी ना रहे...
यही है अश्क!
बहुत खूब!
क्या लिखा है आपने..
बधाई !!
banjar bhumi ko jarurat hai
barsa ke budo ki
hari bhari ho uthegi
sukh dengi apno ko
dusro ko
yahi to niyati hai
किसी की आँखों की नमी लिख रहा हूं
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं
shabd aur dono mil itne koml, itni nmi ki sari ki sari meri ankhon me aa gayi..........
banjar jami par hi sari kaynat likh dali bahut khoob...
मिलने को मिल जाये कायनात सारी
तू जो नहीं है,तेरी कमी लिख रहा हूं.....
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
kehna bhutkuchh chahe..likhna bahut kuchh chahe.....chah kr v bhut kuchh hum likh na paae.....awwwwsmmm......
VERY NICE
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