Friday, 30 March 2012

लिख रहा हूं

किसी की आँखों की नमी लिख रहा हूं 
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं  


खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में 
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं  


मिलने को मिल जाये कायनात सारी 
   तू जो नहीं है,तेरी कमी लिख रहा हूं..... 
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं 
  अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं  
~~~अक्षय-मन

33 comments:

Rachana said...

खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
bahut sunder bhav
rachana

S.N SHUKLA said...

बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

कृपया मेरे ब्लॉग "meri kavitayen"पर भी पधारने का कष्ट करें, आभारी होऊंगा.

Crazy Codes said...

bahut hi umda aur khubsurat...

DR. ANWER JAMAL said...

Nice poem.

बोल्डनेस छोड़िए हो जाइए कूल...खुशदीप​ के सन्दर्भ में

सम्पूर्ण मानव जाति की माँ का नंगा चित्र प्रकाशित करना कितना उचित है ?
रात हमने 'ब्लॉग की ख़बरें' पर पोस्ट पब्लिश करने के साथ ही ख़ुशदीप सहगल की पोस्ट पर टिप्पणी भी की और इस पोस्ट की सूचना देने के लिए अपना लिंक भी छोड़ा लेकिन उन्होंने गलती को मिटने के बजाय हमारी टिप्पणी ही मिटा डाली.
उनकी गलती दिलबाग जी ने भी दोहरा डाली. उनकी पोस्ट से फोटो लेकर उन्होंने भी चर्चा मंच की पोस्ट (चर्चा - 840 ) में लगा दिया है.
एक टिप्पणी हमने चर्चा मंच की पोस्ट पर भी कर दी है.
यह मुद्दा तो सबके माता पिता की इज्ज़त से जुडा है. सभी को इसपर अपना ऐतराज़ दर्ज कराना चाहिए.
http://vedquran.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

हरकीरत ' हीर' said...

खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं

बहुत खूब ....!!

Mridula Ujjwal said...

Bahut baahvpoorn Akshay

thank u fr sharing :)

Naaz

Yashwant R. B. Mathur said...

खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं

बहुत ही बढ़िया सर!

सादर

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 06/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

Jyoti Mishra said...

very deep and intense feelings..
the pain and agony is well reflected

Jyoti Mishra said...

very deep and intense feelings..
the pain and agony is well reflected

दिगम्बर नासवा said...

उदासी लिए ... गहरी रचना ...

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत वक्त बाद तुम्हें पढ़ा ...अच्छा लगा

मुकेश कुमार सिन्हा said...

jaisa bhi likhte ho, bahut behtareen likhte ho:)

Udan Tashtari said...

खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं

वाह-जबरदस्त!!

sheetal said...

Bahut sundar likha hain aapne.

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत खूबसूरत रचना...........

लाजवाब.

अनु

Vandana Ramasingh said...

खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं


बहुत बढ़िया प्रस्तुति

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुंदर

Saras said...

बहुत सुन्दर ....अंतस को छू गयी आपकी कविता

Brijendra Singh said...

वाह, बहुत खूब. !!

Rajesh Kumari said...

sundar, dil ko chhoone vaali ghazal.

amrendra "amar" said...

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

somali said...

very nice

Suresh kumar said...

bahut sundar rachna....

Suresh kumar said...

Bahut hi khubsurat rachna...

JAGDISH BALI said...

Beautiful lines

Unknown said...

आँख के पर्दों से जो छनकर बहे,
मैल जिसमें थोड़ा-सा भी ना रहे...
यही है अश्क!

शिवनाथ कुमार said...

बहुत खूब!
क्या लिखा है आपने..
बधाई !!

Kamleshwar pd singh said...

banjar bhumi ko jarurat hai
barsa ke budo ki
hari bhari ho uthegi
sukh dengi apno ko
dusro ko
yahi to niyati hai

Dr. Shefalika Verma said...

किसी की आँखों की नमी लिख रहा हूं
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं
shabd aur dono mil itne koml, itni nmi ki sari ki sari meri ankhon me aa gayi..........

Bodhmita said...

banjar jami par hi sari kaynat likh dali bahut khoob...

Anonymous said...

मिलने को मिल जाये कायनात सारी
तू जो नहीं है,तेरी कमी लिख रहा हूं.....
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
kehna bhutkuchh chahe..likhna bahut kuchh chahe.....chah kr v bhut kuchh hum likh na paae.....awwwwsmmm......

Sarik Khan Filmcritic said...

VERY NICE