Thursday, 21 April 2011

प्यार "एक अनसुलझी पहेली"






1.
मुझे नहीं पता मुझे क्या कहना है
मुझे ये भी नहीं पता आप क्या सुनना
चाहते हैं
ना आपके सवाल पता है और ना ही मुझे
मेरे जवाब
फिर भी आपसे रू -बा -रू हूँ
एक बार फिर न जाने क्यूँ न जाने किसलिए


2.
अब वो सारा प्यार आंसुओं में बह गया
जिस प्यार मे तुम कभी डूबे थे
वो लहर अब उठती नहीं जो हमारे प्यार
पर परवान चढ़ती थी ...
वो किनारे अब मिलते नहीं जिनकी दूरियाँ
हम बाँट लेते थे, वो सागर अब नहीं उफनता
झील की ख़ामोशी को देखकर
आज वक़्त की आंधी ने
हर लहर को हमारे खिलाफ कर दिया
और अब दफ़न है ज़िन्दगी का हर वो लम्हा
समुन्दर की उस रेत में जहाँ हमने
कुछ सपने लिखे थे और कुछ घरोंदे बनाये थे


3.
उस खामोश दरख़्त पर
शोर मचाता वो पत्ता
हर रोज़ पूछता है मुझसे
तुम क्यूँ चुप हो
क्यूँ पतझड़ तुम पर आया है
क्यूँ ये इतनी तन्हाई है
क्यूँ खिलते नहीं तुम फूलों से
क्या किसी "बहार " से रुसवाई है


4.
मैं जानता हूँ उस एहसास को, उस स्पर्श को,
उस बंधन, उस समर्पण को
और हर उस लम्हे को जो तुझे
पाने से शुरू होता है और
तुझे खोने पर ख़त्म
लेकिन तबसे अब तक मुझे नहीं पता
मैंने हर लम्हे में तुझे कितनी बार पाया है
और न जाने कितनी बार खोया ......
अक्षय-मन

24 comments:

मुकेश कुमार सिन्हा said...

main janta hoon, us ahsaas ko , us sparsh ko..:)

wah akshay...bahut pyare shabd..!!
bhai tum to purane mane hue rachnakaar ho..!

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

smshindi By Sonu said...

very nice post

भगीरथ said...

कविताए दिल को छूती है
सुन्दर अभिव्यक्ति।

डिम्पल मल्होत्रा said...

एक अकेलापन,सूनापन पसरा हुआ है सभी कवितायों में..

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुंदर भाव .....प्रभावी अभिव्यक्ति....

monali said...

Very beautiful... aapka profile me 'about me' me likha har shabd kisi ajeeb si urjaa se ot-prot laga... keep writing :)

somali said...

very nice

SAHITYIKA said...

4th one is really very beautiful.. :)

हरकीरत ' हीर' said...

तीसरी और चौथी अच्छी लगी ....
कुछ अच्छी क्षणिकाएं हों तो भेजिएगा ...
'सरस्वाती- sumaan' patrikaa के liye यहाँ ...
harkiratheer@yahoo.in

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

ati sunder

Dinesh pareek said...

आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html

Rachana said...

khoob likha hai .sunder bhav
rachana

सीमा स्‍मृति said...

आप की कविता के भावो के उपरांत कुछ उपजे भाव

इंसान थे हम,
देवता बना वो पूजते रहे
बेखबर इस बात से
पत्‍थरों की भी उम्र होती है
टूट के बिखर जाने पर
पूजने वाले पहचानते नहीं

नश्तरे एहसास ......... said...

अच्छी लगी आपकी ये क्षन्दिकायें ......चौथी बहुत अच्छी लगी...:):)

पूरी हकीकत said...

बहुत अच्छा लिखा है आपने आपकी कविताओं में काफी गहराई छिपी है...

BrijmohanShrivastava said...

वाकई अनसुलझी

Dr.Bhawna Kunwar said...

Bahut khubsurat rachna...

http://anusamvedna.blogspot.com said...

अब वो सारा प्यार आंसुओं में बह गया
जिस प्यार मे तुम कभी डूबे थे
वो लहर अब उठती नहीं जो हमारे प्यार
पर परवान चढ़ती थी ...
वो किनारे अब मिलते नहीं जिनकी दूरियाँ
हम बाँट लेते थे, वो सागर अब नहीं उफनता
झील की ख़ामोशी को देखकर
आज वक़्त की आंधी ने
हर लहर को हमारे खिलाफ कर दिया
और अब दफ़न है ज़िन्दगी का हर वो लम्हा
समुन्दर की उस रेत में जहाँ हमने
कुछ सपने लिखे थे और कुछ घरोंदे बनाये थे

प्रेम वास्तव में एक अनसुलझी पहेली है ....बेहतरीन रचना

Asha Joglekar said...

pyar ka ahsas use khone ke bad hee shiddat se hota hai. sunder bhwuk prastuti.

रंजना said...

वाह....

vidhya said...

vah

Unknown said...

Badi pyari rachna hai... Aapki rachnaon se baahar nikalne ko ji nahin kar raha tha..

Dr.Sushila Gupta said...

wah akshyaji
doob jane ka man karta hai aapki kavitaon me.



मैं जानता हूँ उस एहसास को, उस स्पर्श को,
उस बंधन, उस समर्पण को
और हर उस लम्हे को जो तुझे
पाने से शुरू होता है और
तुझे खोने पर ख़त्म
लेकिन तबसे अब तक मुझे नहीं पता
मैंने हर लम्हे में तुझे कितनी बार पाया है
और न जाने कितनी बार खोया ......

choo gaee ye lines antarman ko..thanks.