ये शब्द
इन्हें ग़म तो तमाम
दे देता हूं अपने
पर बाद में क्यूँ
सुनता नहीं
उन पन्नो में दबी
हुई इनकी चीखें
जिसपर वक़्त ने गर्द की
एक चादर चढ़ा दी है....
मेरी पहचान तलाशते वो शब्द
अब खुद ही कहीं धूमिल हो गए
पुराने वो शब्द पन्नो में दबी
जिनकी चीखें
वो गर्द,वो किताब
और वो बीता वक़्त
सब भुलाकर नए शब्दों
की तलाश मे
बहुत स्वार्थी हो गया हूं मैं
बहुत स्वार्थी हो गया हूं मैं
भीगी नज़्म
आंखें नम हैं तुम्हारी
सुर्ख ये पन्ने गीले
और शब्दों की बारिश
ऐसा लगता है जैसे
ख्यालों के आसमां में
दर्द की बिजलियाँ
कोंध सी गई हों
तुमने क्यूँ नहीं भिगोया मुझे भी
अपनी इन नज्मों की तरहां ??.
सुर्ख ये पन्ने गीले
और शब्दों की बारिश
ऐसा लगता है जैसे
ख्यालों के आसमां में
दर्द की बिजलियाँ
कोंध सी गई हों
तुमने क्यूँ नहीं भिगोया मुझे भी
अपनी इन नज्मों की तरहां ??.
कशमोकश
मुझे अब एक अजीब सा डर
सताने लगा है
अजीब सी कशमोकश में हूं
अपने शब्दों में तुझे
कितना याद करता हूं मैं
लेकिन
अब तेरे वापस आने से डर लगता है मुझे
अब तू वापस नहीं आना कभी
तेरे आने से कहीं
ये शब्द ना रूठ जाये मुझसे
तेरे बिना जी पाने की
एक वजह ये शब्द ही हैं
मैं इनको अब कभी नहीं छोड़ पाउँगा !!!!
~~अक्षय-मन
64 comments:
पर बाद में क्यूँ
सुनता नहीं
उन पन्नो में दबी
हुई इनकी चीखें....
गहन ...शब्दों की वेदना को दिए सुंदर शब्द......
पुराने वो शब्द
पन्नो में दबी चीखें
सब भुलाकर
नए शब्दों
की तलाश मे
बहुत स्वार्थी
हो गया हूं मैं!
...............
तुमने क्यूँ नहीं भिगोया मुझे
अपनी इन नज्मों की तरहां ??.
..................
तेरे आने से कहीं
ये शब्द ना रूठ जाये मुझसे....
her bhaw dard ke samandar se nikle lagte hain
लाजवाब। बहुत ही वास्तविक अंतर्मन के भाव हैं। मुग्ध हो गया मैं तो।
तीनों रचनाएँ मन को छूती हुई ... नि:शब्द कर दिया ..
बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार
बहुत भावपूर्ण है...बढ़िया!!
कशमोकश
मुझे अब एक अजीब सा डर
सताने लगा है
अजीब सी कशमोकश में हूं
अपने शब्दों में तुझे
कितना याद करता हूं मैं
hradaya-isparshi, bhavvibhor kar dene wali rachna ka aaswadan karane ke lie aapka bahut2 abhar.
तेरे बिना जी पाने की
एक वजह ये शब्द ही हैं
मैं इनको अब कभी नहीं छोड़ पाउँगा !!!!
बहुत खूबसूरती से आपने इस मर्म को बयान किया है
सुन्दर रचना
सब भुलाकर नए शब्दों
की तलाश मे
बहुत स्वार्थी हो गया हूं मैं
वाह वाह क्या बात कही है। अति सुन्दर।
अब तेरे वापस आने से डर लगता है मुझे
अब तू वापस नहीं आना कभी
तेरे आने से कहीं
ये शब्द ना रूठ जाये मुझसे
तेरे बिना जी पाने की
एक वजह ये शब्द ही हैं
मैं इनको अब कभी नहीं छोड़ पाउँगा !!!!
Harek shabd chuninda...harek panktee behtareen!
शब्द पर बहुत सारगर्भित रचना लिखी है आपने!
फिरती हूँ शहर शहर समेटे हर एक याद ;
ना कोई अपना दिखाई दे ,ना पराया सा कोई भी लगे ||
anu
nice
bahut sundar rachna :)
bahut lajawaab rachna ... bhaavpoorn ...
dard chhupa har rachna me ...
samvedansheel ...marmsparshi...
मन को उद्वेलित करने वाली मार्मिक कविताएँ.....
आखरी नज़्म ने मन को छु लिया बेटा .. मैं अब क्या कहूँ ...... बस यूँ ही लिखा करो.....
विजय
सुन्दर भावपूर्ण व मार्मिक प्रस्तुति.
अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार,
मुझे अब एक अजीब सा डर
सताने लगा है
अजीब सी कशमोकश में हूं
अपने शब्दों में तुझे
कितना याद करता हूं मैं
लेकिन
अब तेरे वापस आने से डर लगता है मुझे
अब तू वापस नहीं आना कभी
तेरे आने से कहीं
ये शब्द ना रूठ जाये मुझसे
तेरे बिना जी पाने की
एक वजह ये शब्द ही हैं
मैं इनको अब कभी नहीं छोड़ पाउँगा !!!!
waah behtreen alfaj aur ahsaasa ke saath bahut hi behtreen najm ...badhai
lajavaab rachna...shubhkaamnayen
शब्दों की वेदना को दिए, सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ...
मन को छूने वाली भावपूर्ण मार्मिक कविताएँ....
gazab ka bhaav liye sabhi shabd..aur bade dil se likhee gayi rachnaayein hai..achha laga yahaan aake
Apne blog par fir se sajag hone ke prayaas me hoon:
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
ख्यालों के आसमां में
दर्द की बिजलियाँ
कोंध सी गई हों
तुमने क्यूँ नहीं भिगोया मुझे
अपनी इन नज्मों की तरह ?
स्मृतियों के धुंधलके में आस की कुछ चमकीली किरणों-सी रचना।
bahut sunder likh rahe ho/dikh rahe ho honey/love and blessings,kaise ho?
dr.bhoopendra
rewa
♥
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
ऽअक्षय जी नमस्कार्। सुन्दर भाव शब्दो को लेकर ।
वाह....बढ़िया लिखा है भाई......
पुराने वो शब्द
पन्नो में दबी चीखें
सब भुलाकर
नए शब्दों
की तलाश मे
bahut sunder bhav
rachana
बहुत भावपूर्णँ व उत्कृष्ट रचनाएँ। आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायेँ।
First poem says dat u became se;fish while da last one declares dat u wud nvr break ur commitment wid these words.. perplexed thoughts n superb poetry
शब्दों की वेदना मुखरित हो उठी रचना में..
सुन्दर प्रस्तुति हेतु आभार!
वो बीता वक़्त
सब भुलाकर नए शब्दों
की तलाश मे
बहुत स्वार्थी हो गया हूं मैं
बहुत अच्छी पंक्तियाँ है .....
सुन्दर रचनाएँ ...
bahut khoob harday ki gahan man ko choone vaali abhivyahyiyan.
आंखें नम हैं तुम्हारी
सुर्ख ये पन्ने गीले
और शब्दों की बारिश
ऐसा लगता है जैसे
ख्यालों के आसमां में
दर्द की बिजलियाँ
कोंध सी गई हों
बहुत सुन्दर मन का भाव शब्दों के जरिये उकेरे है आप
सुन्दर प्रस्तुति के लिये धन्यबाद आपका
मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है ...
good
बहुत खूब आप मेरी रचना भी देखे ...........
बहुत सुंदर ढंग से गहरे भावों को प्रस्तुत किया है ...
पुराने वो शब्द
पन्नो में दबी चीखें
सब भुलाकर
नए शब्दों
की तलाश मे
बहुत ही भावपूर्ण एवं सुन्दर रचना,वेदना बताती हुई...
तीनों रचनाएँ मन को छू गयीं ... दर्द झलक रहा है इनमे...वेदना को शब्द दे दिए...
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ...
अब तेरे वापस आने से डर लगता है मुझे
अब तू वापस नहीं आना कभी
तेरे आने से कहीं
ये शब्द ना रूठ जाये मुझसे.no words to say.
very nice , lagta hai dil se likhi hai
सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भाव , बधाई.
khubsurat rachna,
gehre soch!
वो गर्द,वो किताब
और वो बीता वक़्त
सब भुलाकर नए शब्दों
की तलाश मे
बहुत स्वार्थी हो गया हूं मैं
behatriin kya baat kahi hai .yakinan daad ki haqdaar rachna ,bandhai swikaren
Bahut sundar blog aur dil ko chhoo lene wale bhav,,,,,,badhai mitra
▬● अच्छा लगा आपकी पोस्ट को देखकर... साथ ही आपका ब्लॉग देखकर भी अच्छा लगा... काफी मेहनत है इसमें आपकी...
नव वर्ष की पूर्व संध्या पर आपके लिए सपरिवार शुभकामनायें...
समय निकालकर मेरे ब्लॉग्स की तरफ भी आयें तो मुझे बेहद खुशी होगी...
[1] Gaane Anjaane | A Music Library (Bhoole Din, Bisri Yaaden..)
[2] Meri Lekhani, Mere Vichar..
.
bahut sundar bhai....chhu si gayi aapki kavita...
badhayi.
bahut hi behtareen....bahut hi umda likhte hai aap....bdhaai sweekaren....
▬● बहुत खूबसूरती से लिखा है आपने... शुभकामनायें...
दोस्त अगर समय मिले तो मेरी पोस्ट पर भ्रमन्तु हो जाइयेगा...
● Meri Lekhani, Mere Vichar..
● http://jogendrasingh.blogspot.com/2012/01/blog-post_23.html
.
nice 1...
follow mine blog to see some hindi poetries of mine..kuchh pathik akele hote hain.....@
www.rahulpnd.blogspot.com
sundar rachna,bdhaai aap ko...
अपने शब्दों में तुझे
कितना याद करता हूं मैं
लेकिन
अब तेरे वापस आने से डर लगता है मुझे.bahut achcha.
बहुत खुबसूरत रचना ||
दिल को छू गई , दर्द भरे भाव ||
बेहतरीन !!
तुमने क्यूँ नहीं भिगोया मुझे भी
अपनी इन नज्मों की तरहां ??.
बेहतरीन !!
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ ...मैं आपकी प्रतिभा को शब्दों में समाहित नहीं कर सकती ...बस यूहीं लिखते रहिये ...माँ सरस्वती की अनुकम्पा आप पर बनी रहे
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ...
बा-कमाल... !!!
Very Nice and heart touching. your work--"Kashmokash" touched my heart. no words for praise.......
akalpniya atulniya........
Bahut din k baad aapke blog per aana hua ... bahut kuch badal gaya hai yahan per ... tum bhi ... tumhari lekhni to mujhe pahle se pasand hai hi ... ab aur bhi jayada achcha likhne lage ho ... likhte raho aise hi ... aur ham tumhare dwara likha hua padhte rahe ...
वाह!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
बहुत बहुत खूबसूरत......सभी कवितायें एक से बढ़ कर एक......
अनु
shabd rahen sath shabd kahen baat khushnuma subah ho ya dard bhari raat.....achhi rachna
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