Wednesday, 17 August 2011

कुछ अक्षय सा पार्ट 2 :)



1.
होठ यूँ खोलूं खिलता कमल लगे तुमको 
एक शेर जो बोलूं पूरी ग़ज़ल लगे तुमको :) 

2.
मेरे 
ख्याल रो रहे थे 
किसी तन्हा कोने में 
और भिगो रहे थे 
मन मेरा तभी 
ख्यालों 
को तन्हा देख 
शब्द कुलबुला उठे 
और एक गुनगुनाती 
नज़्म लिख बैठा मैं

3.
मैं तुमसे 
सब कुछ 
कह नहीं पाता 
लेकिन 
मेरे शब्दों का 
अधूरापन 
पूरा कर देते हैं 
तुम्हारे अधूरे शब्द..

4.
इस मुलाकात को बताओ,हम मुलाकात कैसे कहें ?
हमको सफहा,किताब-ओ-ख़त में कोई दिखाई देता है

5.

दिन बदल गया बातें बदल गई 
दोस्त बदल गए शक्लें बदल गई 
हाथों की लकीरों को क्या देखते हो 
वक़्त बदल गया तकदीरें बदल गई 

6.
हर बात पर
वो कह देती है 

"पता नहीं"

एक बार यूँ ही 
पूछ लिया उससे 
इश्क है मुझसे 

जवाब आया ".........." !!!!

7.
मैंने कुछ शब्दों को उतारा था 
ख्यालों के केनवास पर 
शब्दों ही शब्दों 
में तेरी तस्वीर बन गई 

अब मैं तेरी उस तस्वीर को 
रोज पढ़ा करता हूं 

8.
जिस वक़्त 
मैं तुझे भुलाने 
की कोशिश करता हूं 
उस वक़्त मर सा 
जाता हूं फिर 

ना जाने रोज़ 
तू कैसे जिन्दा हो 
उठती है मुझमे.

9.

दिल जब डूबता है आसुओं में
और 
धड़कन सांस नहीं ले पाती 
तो मानो ऐसा लगता है जैसे
तूने मेरे "इश्क" का क़त्ल कर दिया हो...
बस एक बार सोच लेना 
मेरे "इश्क" का क़त्ल करने से पहले...
क्यूंकि 
इस जिंदगी के कटघरे में 
तुझे सजा के तौर पर बस ग़म 
ही मिलेगा

10.

उगते हुए होंसले
थकते हुए शरीर 
हिम्मत नहीं थकती 
कभी थके चाहें तकदीर

11.
कभी कभी खुद का ख्याल भी रख लेता हूं 
मैं अश्कों को अपने दवा समझ चख लेता हूं 

12.
बहके बहके से ख़्याल मेरे 
अजीब-अजीब से लफ्ज़ हैं 
कुछ समझ आये तो कहना 
हम किस तरह के शख्स हैं 



13.

अभी तक जितनी नाराज़गी,अनबन 
गुस्सा,शिकायतें जो जो भी रहा हो 
हमारे रिश्ते में 
मगर 
इन सब के बीच बहे तुम्हारे चंद
आंसू गवाही दे देते हैं के

तुम मुझसे प्यार करती हो!!

14.
वो पल 
इस पल से 
बिल्कुल 
मिलता जुलता है
बस फर्क इतना है 
पहले तुम्हारे साथ तन्हा था और 
अब इस तन्हाई के साथ तन्हा हूं ..

15.

तुम बेवफा जरूर निकले 
लेकिन 
देखो जरा इसकी  
 वफ़ा 
तुम्हारे जाते ही 
फिर वापस 
आ गई ये तन्हाई 

16.

ये समां जल सा रहा है
देखो फिजाओं से धुआं उठ रहा है 
फूल वो राख में तब्दील हो गए 
काटें भी सब पिघल के फ़ना हो गए 
इसके बावजूद भी देखो 
मेरे होंसलों की जड़ों में
अब् भी नमी है....
मैं फिर से खिलूँगा ....

17.

चारों तरफ से वो खामोश दीवारें 
देख रही थी मुझे और 
सोच रही थी ये क्या करेगा आज 
किसकी ख़ामोशी को पढ़ेगा 
किसकी उदासी को लिखेगा 

मेरी तन्हाई को बांटती
उन खामोश दीवारों ने जब देखा 
आज में उनका अकेलापन लिख रहा हूं 

तो वो हस्ते हुए बोली खुद को भी तन्हा कहते हो 
मुझको भी अकेला बताते हो.....
मेरी भी मज़बूरी समझते हो
अपना भी रोना रोते हो

कुछ समझ नहीं आता "अक्षय" 
ना जाने तुम क्या क्या लिखते हो.

18.

एक बार फिर से जवान कर लीजिये अपनी मोहब्बत को

बोल क्या चाहिए तुझे क्या तेरे नाम कर दूँ ....

वक़्त जो बीत चुका आ उसे फिर जवां कर दूँ ....

अब् वो शरारतें बस यादों में ही दोहराता हूं 

यादें जो ढल चुकीं आ उन्हें फिर जवां कर दूँ 

बोल क्या चाहिए तुझे क्या तेरे नाम कर दूँ ....

वक़्त जो बीत चुका आ उसे फिर जवां कर दूँ ....

अक्षय-मन

31 comments:

Anju (Anu) Chaudhary said...

दर्द.. तन्हाई ...प्यार ...अपनापन ...जुदाई ...का मिलाजुला समावेश ....बहुत खूब ....पढ़ कर खुद को खोने का एहसास अच्छा लगा .....बहुत खूब ....बढ़िया ...जितनी तारीफ करूँ कम है ....सच में लाजबाब

Urmi said...

गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! हर एक शब्द दिल को छू गई! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है! इस उम्दा रचना के लिए बहुत बहुत बधाई!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत अच्छे शब्द चित्र प्रस्तुत किये हैं आपने!

amrendra "amar" said...

bahut sunder kavitaye, .....
sunder shabdo se saji khubsurat bhav
aabhar

Palak.p said...

bahot hi sunder rachnaye...
keep posting..

palak

Maheshwari kaneri said...

जितने सुन्दर भाव उतने ही सुन्दर अभिव्यक्ति..और चित्र तो लाजवाब..और बहुत कुछ कहना चाह्ती थी पर शब्द शायद कहीं खो से गये हैं.....शुभकामनाओ सहित.....

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति!!

पूनम श्रीवास्तव said...

akxhy ji
kya likhun kya tarrif karun ,aapne itni gahrai se dil ke jajbaat shbdo me udele hain ki unke liye mujhe shbd hi nahi sujh rahe hain
har panktiyan har shbd khud
-b-khid bolte se prateet ho rahen hain .antarman ke jhanjhavato ko isse behatar aur kis tarah se koun likh pata jitne khoobsurat dhang se aapne prastut kiya hai
bahut bahut badhai
dhanyvaad
bahut hi vilamb sekinhi karno se comments de rahi hun xhma kijiyega
punahhardik badhai
poonam

रश्मि प्रभा... said...

koi to kisi se kam nahin... bhawenaaon ka purjor jwaar hai, jo bas kahta jata hai

Dr.Sushila Gupta said...

6.
हर बात पर
वो कह देती है

"पता नहीं"

एक बार यूँ ही
पूछ लिया उससे
इश्क है मुझसे

जवाब आया ".........." !!!!


akshyaji.......sach me bhigo diya antarman ko, jitani tareef karun kam hai.thanks.

Sawai Singh Rajpurohit said...

चारों तरफ से वो खामोश दीवारें
देख रही थी मुझे और
सोच रही थी ये क्या करेगा आज
किसकी ख़ामोशी को पढ़ेगा
किसकी उदासी को लिखेगा

बहुत सही लिखा है आपने,बहुत सुंदर संवेदनशील भाव समेटे हैं अक्षय-मन जी

Arti Raj... said...

jitni tarif kri jae utni kam hai.....bahut payri rachna hai...or pyari taswire bhi....mubarakho...

Dr Varsha Singh said...

लाजबाब.....

Neelkamal Vaishnaw said...

नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें

मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में........

आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"

इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
वहा से मेरे अन्य ब्लाग लिखा है वह क्लिक करके दुसरे ब्लागों पर भी जा सकते है धन्यवाद्

MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

दिगम्बर नासवा said...

bahut khoobsoorat nazm hai ... har rang ko baakhoobi utaara hai is nazm mein ...

Dev said...

शब्द कम है ...आपकी तारीफ़ के लिए .....मन को छु गयी एक एक पंक्तियाँ .

vijay kumar sappatti said...

मेरे बच्चे , प्यारे से बच्चे, मन के सच्चे , लेकिन पता नहीं किस के प्यार में पक्के..
बिटवा , लक्षण कुछ ठीक नहीं है .. इंदौर आना पडेंगा ..

लेकिन कुछ भी कहियो यार , बहुत सही लिखा है .. मैंने पूरी पोस्ट को दो बार पढ़ा..

मेरे शेर यूँ ही लिखा करो ..

दिल से आशीर्वाद.

विजय

महेन्‍द्र वर्मा said...

सारी कविताएं एक से बढ़कर एक।
प्यार के विविध पहलुओं की सुंदर अभिव्यक्ति।

संध्या शर्मा said...

लाजवाब रचना... सारी कविताएं एक से बढ़कर एक... आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है...इस उम्दा रचना के लिए बहुत बहुत बधाई...

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

Jyoti Mishra said...

Thanks 4 following my blog..
Though a bit lengthy... but it was a nice read !!!

एक स्वतन्त्र नागरिक said...

सहज प्रवाह में भावों की अभिव्यक्ति सराहनीय है. सचिन को भारत रत्न क्यों? http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/

ज्योति सिंह said...

ये समां जल सा रहा है
देखो फिजाओं से धुआं उठ रहा है
फूल वो राख में तब्दील हो गए
काटें भी सब पिघल के फ़ना हो गए
इसके बावजूद भी देखो
मेरे होंसलों की जड़ों में
अब् भी नमी है....
मैं फिर से खिलूँगा ...
saare hi khoobsurat hai ,man ko chhoo gaye .badhai ho ,kafi gahrai hai ,dil khush ho gaya padhkar .

Ravi Rajbhar said...

Adarniya Akshay ji,,
kin shabdo se apki tarif karu ... shabd kosh me nahi mile...
bahut lambe antral ke bad ap likhate hain par jo likhate hain.... sidha dil ki galiyo me baith kar likhate hain...!
is prastuti me kya kux nahi hai... ek dam dil ko gahre tak chhu gaye apki kalam.


bas u hi likhate rahiye..!

Hamare yaha bhi aiye... hame khusi hogi.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

उड़ी बाबा....अक्षय....पार्ट-टू तो और भी खतरनाक है भाई.....बहुत बढ़िया....लाज़वाब कर दिया....मुझे अफ़सोस है की तुम तक मैं बहुत दिनों बाद पहुंचा....और ख़ुशी है की पहुंचा तो सही....

Unknown said...

सुंदर अभिव्यक्ति।

Unknown said...

सुंदर अभिव्यक्ति।

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह..................वाह.................

जिस वक़्त
मैं तुझे भुलाने
की कोशिश करता हूं
उस वक़्त मर सा
जाता हूं फिर

ना जाने रोज़
तू कैसे जिन्दा हो
उठती है मुझमे.


वाकई जितनी तारफ करूँ कम है......आपका पूरा ब्लॉग ही मन को भा गया........

बहुत सुन्दर....हर रचना.....

अनु

निर्झर'नीर said...

बेहतरीन एक से बढ़कर एक ...बंधाई स्वीकारें

शिवनाथ कुमार said...

सारे नज्म एक से बढ़कर एक, काबिले तारीफ़, बहुत खूब ......
सुंदर अभिवयक्ति !!

Arti Raj... said...

दिल जब डूबता है आसुओं में
और
धड़कन सांस नहीं ले पाती
तो मानो ऐसा लगता है जैसे
तूने मेरे "इश्क" का क़त्ल कर दिया हो...
बस एक बार सोच लेना
मेरे "इश्क" का क़त्ल करने से पहले...
क्यूंकि
इस जिंदगी के कटघरे में
तुझे सजा के तौर पर बस ग़म
ही मिलेगा


kuchh samjh nhi aata akshay jane tum kya kya likhte rhte ho.......