मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं
कभी हालातों ने ढाला मुझे
कभी मजबूरियों में पला हूं
मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं
बेजान जिस्म में भूख जिन्दा है
एक पकी रोटी की आस में
मैं हर रोज़ जला हूं
मैं टुकडो टुकड़ों में बना हूं
मेरे फटे हाल पर हर रोज़
पेबंद लगा जाता है ये वक़्त
मैं इन चिथड़ों से ढका हूं
मैं टुकडो टुकडो में बना हूं
दर्द की वो किरचें दिखती
होंगी अध्नग्न जिस्म पर
बस वहीँ हैं उन्ही से बना हूं
मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं
मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं
कभी हालातों ने ढाला मुझे
कभी मजबूरियों में पला हूं
मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं
बेजान जिस्म में भूख जिन्दा है
एक पकी रोटी की आस में
मैं हर रोज़ जला हूं
मैं टुकडो टुकड़ों में बना हूं
मेरे फटे हाल पर हर रोज़
पेबंद लगा जाता है ये वक़्त
मैं इन चिथड़ों से ढका हूं
मैं टुकडो टुकडो में बना हूं
दर्द की वो किरचें दिखती
होंगी अध्नग्न जिस्म पर
बस वहीँ हैं उन्ही से बना हूं
मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं
मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं
अक्षय-मन
दुखों की तान पर गरीबी अपना राग सुनाती है
कुछ नहीं तो ऐसे ही पेट की आग बुझाती है !!!
कुछ नहीं तो ऐसे ही पेट की आग बुझाती है !!!
हर पल एक नया दर्द मिलता है उसे बस
उसी दर्द को ही अपना अनुराग बनाती है
दुखों की तान पर गरीबी अपना राग सुनाती है
कुछ नहीं तो ऐसे ही पेट की आग बुझाती है !!!
कुछ नहीं तो ऐसे ही पेट की आग बुझाती है !!!
अक्षय-मन
32 comments:
बहुत ही संवेदनशील रचना , दिल को छू लेने वाली , बधाई
tukde tukde paiband lagi zindagi hi dard ke mayne samajhti hai...
shandar.
बेजान जिस्म में भूख जिन्दा है
एक पकी रोटी की आस में
मैं हर रोज़ जला हूं
मैं टुकडो टुकड़ों में बना हूं
मेरे फटे हाल पर हर रोज़
पेबंद लगा जाता है ये वक़्त
मैं इन चिथड़ों से ढका हूं
मैं टुकडो टुकडो में बना हूं
Wah! Kya baat hai!
बहुत संवेदनशील रचना
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें और बधाई
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां
सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ भावपूर्ण कविता लिखा है आपने! शानदार प्रस्तुती!
आपको एवं आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
दुखों की तान पर गरीबी अपना राग सुनाती है
कुछ नहीं तो ऐसे ही पेट की आग बुझाती है !!!
हर पल एक नया दर्द मिलता है उसे बस
उसी दर्द को ही अपना अनुराग बनाती है
marmik aur samyik rachna ,aazadi tabhi adhoori lagti hai ,poori rachna sundar .swatantrata divas ki badhai .
gareebi k tamaam tukdo ko paiband laga ke see liya jaye to bhi ye dard sil nahi sakta.
bahut samvedansheel rachna.
बहुत भावप्रणव रचना!
स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत भावप्रणव रचना!
स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ।
tukdo ko shabdo me bhut hi khubsurat se utara hai aapne...
बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है संवेदनशील रचना
वाह बेहतरीन !!!!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!
जय हिंद जय भारत
****************
vande mataram......bahut sundar rachana
मेरे फटे हाल पर हर रोज़
पेबंद लगा जाता है ये वक़्त
मैं इन चिथड़ों से ढका हूं
मैं टुकडो टुकडो में बना हूं...
bahut khub javab nahi...
भाई अक्षय मन जी बधाई और शुभकामनायें |इसी तरह लिखते रहिये |
भाई अक्षय मन जी बधाई और शुभकामनायें |इसी तरह लिखते रहिये |
बहुत सुन्दर रचा है आपने...
राष्ट्र पर्व की सादर बधाइयां...
paiband me jodane ke vaste tukadon ki talaash me hi jandgi gujar jati hai . achchhi lagi. shubhkamna
बहुत भावप्रणव रचना!
स्वतन्त्रता दिवस के पावन अवसर पर बधाई और हार्दिक शुभकामनाएँ।
बेजान जिस्म में भूख जिन्दा है
एक पकी रोटी की आस में
मैं हर रोज़ जला हूं
गज़ब के भाव ....पीड़ा पाठक तक पहुँचती है
खूबसूरत अभिव्यक्ति...आभार.
सादर,
Reading this kind of article is worthy .It was easy to understand and well presented.
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ.
man के bhavon की gahan अभिव्यक्ति .शुभकामनायें
blog paheli
Bahut badhiya aur sanvedan sheel rachna..
मेरे भी ब्लॉग में आयें |
मेरी कविता
मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं
संवेदनशील पंक्तियाँ....... प्रभावित करती रचना
मेरे फटे हाल पर हर रोज़
पेबंद लगा जाता है ये वक़्त
मैं इन चिथड़ों से ढका हूं
मैं टुकडो टुकडो में बना हूं
बहुत सुन्दर कविता है अक्षय जी.
मेरे फटे हाल पर हर रोज़
पेबंद लगा जाता है ये वक़्त
मैं इन चिथड़ों से ढका हूं
मैं टुकडो टुकडो में बना हूं
wahhhhh! akshyaji..aapke lekhan ka andaz hi alag hai , har bar ek alag topic hota hai karun krandan. aapka abhar.
मैं टुकड़ों टुकड़ों में बना हूं..बहुत ही संवेदनशील और सुन्दर भाव.. मन को छू गई....
Akashay ji...
your all work is very unique. in this generation so touching feelings . really your work touched heart core. apki "man" work bahut achhi lagi. though all are different. your most welcome to my blog too..... though i m not so perfact as you but trying...
Akashay ji...
your all work is very unique. in this generation so touching feelings . really your work touched heart core. apki "man" work bahut achhi lagi. though all are different. your most welcome to my blog too..... though i m not so perfact as you but trying...
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