कुछ बंधन,कुछ समर्पण
और
जहाँ प्रेम.विश्वास
ममता का मिलन
होता है
वहां एक परिणीता का
जन्म होता है
चूड़ियों की खन-खन
पायलों की छन-छन
और जब सोलह श्रंगार कर
कोई मुखड़ा दमकता है
कोई मुखड़ा दमकता है
वहां एक परिणीता का
जन्म होता है
मासूम बचपन,वो लडकपन
और जब
अपना अंगना
बिछड़ता है
वहां एक परिणीता का
जन्म होता है
ताकता दर्पण वो हल्दी,चन्दन
और घूँघट में जब कोई
शर्म से दुपकता है
वहां एक परिणीता का
जन्म होता है
कुछ परिवर्तन,कुछ टूटे स्वप्न
और जहाँ हर कदम पर
जीवन उसका एक
कसौटी
पर उतरता है
वहां एक परिणीता का
जन्म होता है
जहाँ हर रिश्ता एकरूप होकर सिमटता है
वहां-वहां एक परिणीता का जन्म होता है
अक्षय-मन
31 comments:
kshama said...
,कुछ परिवर्तन,कुछ टूटे स्वप्न
और जहाँ हर कदम पर
जीवन उसका एक
कसौटी
पर उतरता है
वहां एक परिणीता का
जन्म होता है
जहाँ हर रिश्ता एकरूप होकर सिमटता है
वहां-वहां एक परिणीता का जन्म होता है
Sach me aisahee hota hai.....
ताकता दर्पण वो हल्दी,चन्दन
और वो घूँघट में जब कोई
शर्म से दुपकता है
वहां एक परिणीता का
जन्म होता है
.................. शर्म से दुबकते चेहरे पर जब उँगलियों के निशां उभर आते हैं तो क्या वह परिणीता नहीं रह जाती ?
परिणीता को परिभाषति करती रचना...
sunder rachna....
जहाँ हर रिश्ता एकरूप होकर सिमटता है
वहां-वहां एक परिणीता का जन्म होता है
वाह.... बहुत सुंदर
बहुत ही सुन्दर भावो को भरा है।
बहुत खूबसूरती से लिखा आपने परिणीता को ...
.
अक्षय मन जी
नमस्कार !
जहां हर रिश्ता एकरूप होकर सिमटता है वहां-वहां एक परिणीता का जन्म होता है
वाह ! क्या कहा जाए … बहुत ख़ूब !
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
ओह! बेहतरीन सुन्दर भाव प्रस्तुत किये हैं आपने.
'परिणीता' के बारे में बहुत सुन्दर जानकारी मिली आपकी इस अभिव्यक्ति से.
शानदार अनुपम अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
जहाँ हर रिश्ता एकरूप होकर सिमटता है
वहां-वहां एक परिणीता का जन्म होता है
पुरे रिश्ते को एक ही पंक्ति में समेट दिया .....बहुत गहराई से हर शब्द भाव का सम्प्रेषण करता है .....आपका आभार
बहुत भीवपूर्ण रचना है...
मुझे ये कविता का इन्तजार था .. मुझे याद आता है , अक्षय तुमने इसे बहुत पहले लिखा था .. गज़ब के शब्द और गज़ब के अहसास .. मेरा सलाम स्वीकार करो बच्चे ....
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
बेहतरीन रचना...मन प्रसन्न हो गया.
बहुत ही खूबसूरत कल्पना है ...
पहली बार आपके ब्लाग पर आयी , बहुत अच्छी रचनाये पढने को मिली ...
bahut sundar akshay ....khoob likho ..achchha likho..
सुन्दर शब्दों में परिणीता का सुन्दर चित्रण किया है .आपको हार्दिक बधाई .अच्छा लिखते हैं आप . आपको पढ़ना अच्छा लगा.
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ....
और प्रस्तुति भी बहुत सुन्दर ...
nav parneeta ki sari khoobsoorti aapne shabdo mein utar di.....
बहुत सुन्दर लिखा है... उम्दा...
जितनी सुंदर रचना, उतना प्यारा ब्लॉग का लेआउट।
............
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
hi Akshyaji
namaskar
bahut hi acha likhate hain aap....
जहाँ हर रिश्ता एकरूप होकर सिमटता है
वहां-वहां एक परिणीता का जन्म होता है
very nice..thanks.
कुछ परिवर्तन,कुछ टूटे स्वप्न
और जहाँ हर कदम पर
जीवन उसका एक
कसौटी
पर उतरता है
वहां एक परिणीता का
जन्म होता है
bahut hi badhiya ,jindagi har kadam jang hai paar ho jaaye to parinita ka janm hai .tumahari tippani snehyukt hoti hai jise padhkar vaatsalya bhav jagta hai ,didi bola hai is bhai ka sada khyal rakkhoongi .
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
bahut hi achhi lagi aapki yah kavita...
Parinita tau wo bhi hoti hai jisey in sab ke bawazood gunghat mai hi dafna diya jata hai,jiski haathon ki mehndi sookhne k pehle hi khronch di jati hai,jiski runjhun karti payalon ko bediyan bana diya jata hai....hai n akshay..!!
haan wo bhi parinita hi hoti hai... aur kya keh skta hun....
beautiful post....excellent write!
जहाँ हर रिश्ता एकरूप होकर सिमटता है
वहां-वहां एक परिणीता का जन्म होता है
....बहुत ही भावपूर्ण रचना के लिए बधाई
प्रेम के अल्हड से रूप को ... उन्मुक्त एहसास को शब्दों में बांधा है आपने ... बहुत खूब ...
bahut khub..
♥bahut hi achhi lagi aapki yah rachna &heards;.. badhai
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